Thursday, 29 June 2017

फार्मास्यूटिकल्स में 25 करोड़ डॉलर का निवेश, 12.5 करोड़ डॉलर का विश्‍व बैंक कर्ज

         भारत में बायोफार्मास्यूटिकल्स के विकास को गति देने के लिए अब तक के पहले औद्योगिकी-शैक्षणिक मिशन की औपचारिक रूप से नई दिल्‍ली में 30 जून 2017 को केन्‍द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, भू-विज्ञान, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉक्‍टर हर्षवर्धन शुरूआत करेंगे। 

         भारत में नवाचार (आई-3) नाम से शुरू हो रहे इस कार्यक्रम में 25 करोड़ अमेरीकी डॉलर का निवेश होगा, जिसमें 12.5 करोड़ डॉलर का विश्‍व बैंक कर्ज देगा। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भारतीय बायोफार्मास्यूटिकल्स उद्योग में इससे बड़ा बदलाव आएगा। इससे उद्यमिता और स्‍वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए आवश्‍यक परितंत्र का भी निर्माण होगा। 
         भारत फार्मास्‍यूटिकल उद्योग में काफी सक्रिय रहा है और जीवन रक्षक दवाओं के निर्माण और जरूरतमंदों के लिए कम कीमत वाले फार्मास्‍यूटिकल उत्‍पादों में भारत का वैश्विक स्‍तर पर अहम योगदान रहा है। चाहे वह रोटा वायरस के टीके हों या हार्ट वाल्‍व प्रोस्थेसिस या फिर सस्‍ते इंसुलिन, भारत इनमें और कई दूसरी दवाओं के निर्माण में अग्रणी रहा है। 
         इसके बावजूद भारत विकसित देशों की तुलना में फार्मास्‍यूटिकल उद्योग में 10-15 साल पीछे है और इसे चीन, कोरिया और अन्‍य देशों से चुनौती मिल रही है। इसकी वजह उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्रों में जुड़ाव, खोजपरक अनुसंधान और उचित कोष की कमी है। इस क्षेत्र में समेकित नवाचार सुनिश्चित करने के लिए उत्‍पाद खोज, अनुसंधान और शुरूआती विनिर्माण को बढ़ावा देने की जरूरत है। 
        भारत में नवाचार आई-3 इन कमियों को दूर करेगी और भारत को प्रभावी बायोफार्मास्‍यूटिकल उत्‍पादों के क्षेत्र में डिजाइन और विकास का केन्‍द्र बनायेगा। इस मिशन को जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई, जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायक परिषद (बीआईआरएसी) लागू करेगी।

Wednesday, 21 June 2017

अब पर्यटन के लिए चिकित्सा व तंदुरुस्ती रोडमेप

        पर्यटन व संस्कृति राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा की अध्यक्षता में यहां राष्ट्रीय चिकित्सा और तंदुरुस्ती पर्यटन बोर्ड की तीसरी बैठक आयोजित की गयी। 

        बैठक में पर्यटन मंत्रालय में सचिव श्रीमती रश्मि वर्मा, अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और यात्रा और अतिथि सत्कार उद्योग के साझेदारों के बोर्ड के सदस्य तथा चिकित्सा और तंदुरुस्ती क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हुए। बोर्ड की दूसरी बैठक 28 मार्च, 2017 को हुई थी। 
           इसमें घोषणा की गयी थी कि चिकित्सा और तंदुरुस्ती पर्यटन के बारे में एक विस्तृत खाका तैयार किया जाएगा और उसे 21 जून, 2017 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के समय देश के समक्ष रखा जाएगा। 
           बोर्ड के इस फैसले के बाद चिकित्सा और तंदुरुस्ती पर्यटन के बारे में एक विस्तृत रोडमेप तैयार करने के लिए श्री विवेकानंद योग अनुसंधान संस्था, बैंगलुरू के अध्यक्ष डॉ. एच.आर नागेन्द्र की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गयी थी।

 

Thursday, 15 June 2017

भारत में प्रतिवर्ष 10.1 लाख बच्‍चों की अकाल मृत्‍यु, 1.1 लाख दस्‍त के कारण

        स्‍वास्‍थ्य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय ने अतिसार के कारण बच्‍चों की मौत की घटनायें को रोकने के सघन प्रयास के लिए सघन दस्‍त नियंत्रण पखवाड़े (आईडीसीएफ) का शुभारंभ किया। 

     मंत्रालय ने बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य के स्‍तर को दुनिया के स्‍वास्‍थ्‍य स्‍तर के समान लाने के लिए इसे राष्‍ट्रीय प्राथमिकता बना दिया है। मंत्रालय अपनी इस पहल के माध्‍यम से दस्‍त के नियत्रंण में निवेश को प्राथमिकता देने के लिए स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों, राज्‍य सरकारों और अन्‍य हितधारकों को दस्‍त के नियंत्रण में निवेश को वरीयता देगा। 

           इसका लक्ष्‍य दस्‍त के सबसे सस्‍ते और सबसे प्रभावकारी उपचार मौखिक पुनर्जलीकरण साल्‍ट के मिश्रण (ओआरएस) घोल और जिंक टेबलेट का इस्‍तेमाल करने की जन जागरूकता पैदा करना है। पखवाडे़ के दौरान गांव, जिला और राज्‍य स्‍तर पर स्‍वच्‍छता के लिए गहन समुदाय जागरूकता अभियान और ओआरएस एवं जींक थेरेपी का प्रचार किया जाएगा। इस कार्यक्रम के अंतर्गत देशभर में 5 वर्ष से कम की आयु के लगभग 12 करोड़ बच्‍चों को शामिल किया जाएगा। 

             दस्‍त के कारण होने वाली लगभग सभी मौतों को मौखिक पुनर्जलीकरण साल्‍ट के मिश्रण (ओआरएस) और जिंक गोलियों के इस्‍तेमाल द्वारा शरीर में जल की कमी के उपचार के साथ-साथ बच्‍चों को भोजन में पर्याप्‍त पोषक तत्‍व देकर रोका जा सकता है। शुद्ध पेयजल, स्‍वच्‍छता, स्‍तनपान, समुचित पोषण और हाथ धोकर दस्‍तों से बचाव किया जा सकता है। 
        आशा कार्यकर्त्‍ता  अपने गांवों में 5 वर्षों से कम आयु के बच्‍चों वाले घरों में ओआरएस के पैकट्स के वितरण करेंगी। स्‍वास्‍थ्‍य देख-रेख केंद्रों और गैर स्‍वास्‍थ्‍य देख-रेख केंद्रों जैसे विद्यालयों और आंगनवाड़ी केंद्रों पर ओआरएस-जिंक कॉर्नर स्‍थापित किये जाएंगे।
         भारत में पिछले दो दशकों में बच्‍चों की मृत्‍यु दर में काफी कमी आयी है। शिशु मृत्‍यु दर (आईएमआर) और 5 वर्षों से कम आयु के बच्‍चों की मृत्‍यु दर में लगातार गिरावट आयी है। इस अ‍वधि के दौरान स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं और प्रतिरक्षण तक बच्‍चों की पहुंच बढ़ने से गिरावट आयी है।
         फिर भी एक आकलन के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष 10.1 लाख बच्‍चों की मृत्‍यु होती है जिसमें दस्‍तों के कारण लगभग 1.1 लाख बच्‍चों की मृत्‍यु शामिल है। 
          इस बीमारी की रोकथाम के लिए पहले से ही क्षमता निर्माण सभी सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों पर बच्‍चों में दस्‍त की रोकथाम  के लिए कर्मचारियों के सेवा प्रावधान के साथ ही विटामिन ए की आपूर्ति, शीघ्र स्‍तनपान की शुरूआत, पहले 6 माह तक बच्‍चों को केवल स्‍तनपान, समुचित पोषण जैसे उपाय लागू किये गए हैं।

Friday, 2 June 2017

स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करना मुख्य प्राथमिकता

             सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करना हमारी मुख्य प्राथमिकता है। हालांकि, नई चुनौतियां यह मांग करती हैं कि हम नवाचार बनाएं और नए विचारों और नवाचारों को प्रोत्‍साहित करें तथा उनका फायदा उठाएं ताकि कोई भी व्‍यक्‍ति हमारी सेवाओं से वंचित न रहे।

     केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने यह बात यहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की 10वीं सामान्‍य समीक्षा मिशन (सीआरएम) रिपोर्ट के प्रसार के लिए आयोजित कार्यक्रम में कही। इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री फग्‍गन सिंह कुलस्‍ते और श्रीमती अनुप्रिया पटेल भी उपस्थित थे। इस अवसर पर नड्डा ने कुष्ठ रोग, मलेरिया, कालाजार जैसे रोगों को नष्ट करने के लिए आवश्यक और मजबूत स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि मजबूत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को समयबद्ध रूप से लागू करने और संरचित रोग उन्मूलन योजनाओं को विकसित करने की आवश्यकता है। 

            नड्डा ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की गुणवत्ता और स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल की सामग्री के मामले में काफी सुधार हुआ है। केवल संस्‍थागत वितरण में ही नहीं बल्‍कि बाह्य रोगियों और मरीजों के मामले में भी सेवा आपूर्ति सुधार हुआ है। नड्डा ने यह भी कहा कि पहुंच का विस्‍तार करने और लागत घटाने के लक्ष्‍यों की दिशा में पिछले तीन वर्षों के दौरान कई नई पहलों की शुरूआत की गई है,  क्योंकि मंत्रालय सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। राज्यों को पूरी मदद का आश्वासन देते हुए उन्‍होंने राज्‍यों से सेवाओं की आपूर्ति के लिए नवाचारी कार्यक्रम शुरू करने के लिए अपने प्रस्‍तावों के साथ आगे आने का आग्रह किया। 

             उन्‍होंने बताया कि साझा एनसीडी कार्यक्रम की सार्वभौमिक स्क्रीनिंग के तहत 30 वर्ष से अधिक आयु के हर व्‍यक्‍ति की पहले चरण में देश के 100 जिलों में जांच की जाएगी। धीरे-धीरे इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा और लगभग 50 करोड़ लोगों को इसके तहत लाया जाएगा ताकि समय पर किए गए प्रयास से देश में बीमारी के बोझ को कम किया जा सके। साझा संसाधन मिशन की सराहना करते हुए, नड्डा ने कहा कि यह एक विशिष्‍ट मिशन है, क्योंकि जिले और राज्य न केवल अपनी सर्वश्रेष्‍ठ प्रकिया का प्रदर्शनकरेंगे बल्‍कि अपनी चुनौतियों के बारे में भी आगे बढेंगे। मुझे विश्‍वास है कि इससे हमारा विश्‍वास मजबूत होगा कि सीआरएम निष्‍कर्ष मिशन के कार्यान्वयन करने के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करते हैं। 

              प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्‍ते ने कहा कि एनएचएफ ने स्वास्थ्य देखभाल वितरण की मजबूत प्रणाली के कारण स्वास्थ्य निष्‍कर्षों और स्‍वास्‍थ्‍य संकेतकों को बढ़ावा दिया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन लगातार राज्य और उप जिला स्तरों पर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुपम पटेल ने कहा कि सीआरएम एनएचएम की समीक्षा के लिए सीआरएम एक महत्वपूर्ण तंत्र है क्योंकि यह प्रक्रियाओं और गुणवत्ता की वास्‍तविक समीक्षा के लिए गहन बातचीत आयोजित करने में मदद करता है। उन्होंने राज्यों से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए राज्‍यों से नवाचार रणनीति विकसित करने के लिए अनुरोध किया और सीआरएम रिपोर्ट के प्रमुख निष्‍कर्षों पर प्रकाश डाला। 

           स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव सी.के. मिश्रा ने कहा कि एनएचएम में सुधार के लिए विश्लेषण को मुख्‍य ताकत बनाने के लिए सीआरएम के इनपुट बहुत महत्वपूर्ण हैं। सीआरएम महत्वपूर्ण विश्लेषण के लिए मंच उपलब्‍ध कराता है जो एनएचएम के लिए बहुत ही महत्‍वपूर्ण है। यह कार्यक्रम की गुणवत्ता के मानकों का मूल्यांकन करता है और निवेश पर रिटर्न के बारे में हमें जानकारी उपलब्‍ध कराता है। मिश्रा ने नए विचारों, नवीन मतों पर जोर दिया ताकि गति को बरकरार रखा जाए। 10 वीं सीआरएम टीम ने 16 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों का दौरा किया, जिसमें 3 पूर्वोत्‍तर राज्यों सहित 9 अधिक केंद्रित राज्‍य,  5 गैर-उच्च केंद्रित राज्य और 2 केंद्रशासित प्रदेश शामिल हैं।

             विचारणीय विषयों में सेवा आपूर्ति गुणवत्ता आश्वासन; आरएमएनसीएच अए; मानव संसाधन; समुदाय प्रक्रियाएं; सूचना और ज्ञान; स्वास्थ्य वित्तपोषण; दवाइयों की खरीदारी निदान और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन; एनयूएचएम; शासन और प्रबंधन शामिल हैं। सीआरएम रिपोर्ट में स्वास्थ्य प्रणाली सुधार के सभी पहलू शामिल हैं।  इस समारोह में डीजीएचएस डॉ. जगदीश प्रसाद, अपर सचिव एवं मिशन निदेशक (एनएचएम), अरुण कुमार पांडा, संयुक्‍त सचिव (नीति) मनोज झालानी, संयुक्‍त सचिव (आरसीएच, आईईसी) सुश्री वंदना गुरनानी, मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारी राज्‍य/ केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों और गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

देश का सबसे बड़ा किडनी डायलिसिस अस्पताल, होगा मुफ्त इलाज     नई दिल्ली। 20 वर्ष तक बंद रहने के बाद बाला साहिब अस्पताल यहां शुरू हो गया। जिसम...