Monday, 11 September 2017

प्रभावशाली स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के लिए सूचना प्रौद्योगिकी की आवश्‍यकता

      नई दिल्‍ली। स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण राज्‍य मंत्री अश्‍विनी कुमार चौबे ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान नई दिल्‍ली में ई-हेल्‍थ केयर के क्षेत्र में कम लागत वाली तकनीक के प्रयोग पर सातवें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उदघाटन किया।

      इस समारोह में अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि देश में बेहतर और प्रभावशाली स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं प्रदान करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग की आवश्‍यकता है। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की डिजिटल इंडिया पहल का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि लोगों को स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं प्रदान करते समय तकनीक का पर्याप्‍त प्रयोग होना चाहिए।
      चौबे ने कहा कि स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं में ई-एप्‍लीकेशन के प्रयोग से खर्चों में कमी आएगी और चिकित्‍सकों तथा मरीजों का समय बचेगा। प्राचीन भारत की स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली और सुश्रुत, चरक तथा धनवंतरी के योगदान का जिक्र करते हुए चौबे ने कहा कि हमें विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए, ताकि स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं सस्‍ती, सुलभ और अधिक पारदर्शी हों।
      इस अवसर पर चौबे ने उन चिकित्‍सकों को भी सम्‍मानित किया, जिन्‍होंने दूर दराज के क्षेत्रों में जाए बिना ई-एप्लिकेशन के माध्‍यम से मरीजों का सफलतापूर्वक उपचार किया। उन्‍होंने कहा कि नई तकनीक के प्रयोग से न सिर्फ कार्य कुशलता बढ़ेगी, बल्कि स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के क्षेत्र में पारदर्शिता भी आएगी। 
     स्‍वास्‍थ्‍य राज्‍य मंत्री ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, कम्‍प्‍यूटर फैसलिटी विभाग और इस सम्‍मेलन के प्रभारी प्रो. दीपक अग्रवाल की इस सम्‍मेलन के आयोजन के लिए प्रशंसा की। चौबे ने उम्‍मीद जताई कि प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया विजन को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान के ई-इनिशिएटिव आगे बढ़ायेंगे।
    इस अवसर पर महात्‍मा गांधी चिकित्‍सा विज्ञान विश्‍वविद्यालय, जयपुर के अध्‍यक्ष और उप कुलपति प्रो. एम.सी मिश्रा, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान, नई दिल्‍ली के पूर्व निदेशक तथा स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय और एम्‍स के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

Friday, 1 September 2017

राष्‍ट्रीय पोषण सप्‍ताह : बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए स्‍तनपान महत्‍वपूर्ण

      स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण 1 सितम्‍बर से 7 सितम्‍बर, 2017 तक राष्‍ट्रीय पोषण सप्‍ताह मना रहा है। इस वर्ष राष्‍ट्रीय पोषण सप्‍ताह का विषय है नवजात शिशु एवं बाल आहार प्रथाएं (आईबाईसीएफ) बेहतर बाल स्‍वास्‍थ्‍य। 

      इस अवधि के दौरान बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य की रक्षा और उनकी बेहतरी में उचित पोषण के महत्‍व के बारे में जन जागरूकता पैदा करने के लिए एक सप्‍ताह का अभियान चलाया जा रहा है। नवजात शिशु एवं बाल आहार प्रथाओं को अधिकतम बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने मां- मां की असीम ममता कार्यक्रम शुरू किया है ताकि देश में स्‍तनपान का दायरा बढ़ाया जा सके। 
   मां कार्यक्रम के अंतर्गत स्‍तनपान को बढ़ावा देने के लिए जिला और ब्‍लॉक स्‍तर पर कार्यक्रम प्रबंधकों सहित डॉक्‍टरों, नर्सों और एएनएम के साथ करीब 3.7 लाख आशा और करीब 82,000 स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ताओं को संवेदनशील बनाया गया है और 23,000 से ज्‍यादा स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा कर्मचारियों को आईबाईसीएफ प्रशिक्षण दिया गया है। 
     साथ ही उपयुक्‍त स्‍तनपान परंपराओं के महत्‍व के संबंध में माताओं को संवेदनशील बनाने के लिए ग्रामीण स्‍तरों पर आशा द्वारा 1.49 लाख से अधिक माताओं की बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। इस सप्‍ताह के दौरान कार्यक्रम प्रबंधकों के साथ माताओं की बैठकें और ब्‍लॉक जिला स्‍तर की कार्यशालाओं के आयोजन की भी योजना बनाई गई है। 
    समुदाय में आईबाईसीएफ प्रथाओं में परिवर्तन लाने और जागरूकता बढ़ाने के लिए आंगनबाड़ी केन्‍द्रों में ग्रामीण स्‍तर पर ग्राम स्‍वास्‍थ्‍य और पोषण दिवस आयोजित किया जाएगा। इसके अलावा सार्वजनिक सुविधाओं में स्‍तनपान प्रबंधन केन्‍द्रों पर राष्‍ट्रीय दिशा निर्देश हाल ही में जारी किए गए हैं ताकि स्‍तनपान प्रबंधन केन्‍द्रों की स्‍थापना को आसान बनाया जा सके और बीमार और समय से पूर्व जन्‍मे बच्‍चों को सुरक्षित मानव स्‍तन दुग्‍ध मिल सके।
      बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए स्‍तनपान महत्‍वपूर्ण है। जन्‍म के एक घंटे के भीतर स्‍तनपान नवजात शिशुओं की मृत्‍यु के 20 प्रतिशत मामलों को कम कर देता है। नवजात शिशुओं को जिन्‍हें मां का दूध नहीं मिल पाता उनकी स्‍तनपान करने वाले बच्‍चों की तुलना में निमोनिया से 15 गुना और पेचिश से 11 गुना अधिक मृत्‍यु की संभावना रहती है। साथ ही स्‍तनपान नहीं करने वाले बच्‍चों में मधुमेह, मोटापा, एलर्जी, दमा, ल्‍यूकेमिया आदि होने का भी खतरा रहता है। स्‍तनपान करने वाले बच्‍चों का आईक्‍यू भी बेहतर होता है।  

देश का सबसे बड़ा किडनी डायलिसिस अस्पताल, होगा मुफ्त इलाज     नई दिल्ली। 20 वर्ष तक बंद रहने के बाद बाला साहिब अस्पताल यहां शुरू हो गया। जिसम...